आयकर विधेयक 2025: इन बदलावों की तैयारी

दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को बजट पेश करते समय नए आयकर विधेयक, 2025 (Income-Tax Bill 2025) की घोषणा की थी। यह विधेयक गुरुवार को संसद में पेश किया जा सकता है। नया विधेयक 622 पन्नों का है और इसमें सरल और स्पष्ट भाषा (Simplified Income Tax Law), प्रावधानों और स्पष्टीकरणों को हटाना, ‘कर वर्ष’ (Tax Year) और ‘वित्तीय वर्ष’ (Financial Year) जैसी नई शब्दावली, तथा वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (Virtual Digital Assets Taxation India) पर कड़े कर प्रावधान शामिल हैं।

‘कर वर्ष’ की नई अवधारणा
इस विधेयक में ‘कर वर्ष’ (Tax Year Concept in India) की एक नई परिभाषा दी गई है, जो 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले 12 महीनों तक चलेगा। यदि कोई नया व्यवसाय या पेशा शुरू होता है, तो कर वर्ष उसी तारीख से शुरू होगा और उस वित्तीय वर्ष के अंत तक चलेगा। इसका अर्थ यह है कि कर आर्थिक गतिविधि और ‘कर वर्ष’ में अर्जित आय के आधार पर लगाया जाएगा।

वर्तमान व्यवस्था में आयकर ‘मूल्यांकन वर्ष’ (Assessment Year vs Tax Year India) की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष की आय का आकलन किया जाता है। उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2024-25 (Financial Year 2024-25 India) में अर्जित आय का मूल्यांकन मूल्यांकन वर्ष 2025-26 (Assessment Year 2025-26 India) में किया जाएगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई शब्दावली से भविष्य में आयकर रिपोर्टिंग (Income Tax Filing India) को अधिक सुगम और लचीला बनाया जा सकता है।

विधेयक में अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
✅ कानूनी भाषा को सरल (Income Tax Law Simplification) बनाकर विधेयक के पन्नों की संख्या 823 से घटाकर 622 कर दी गई है।
✅ अध्यायों की संख्या पहले की तरह 23 बनी रहेगी, लेकिन धाराएं 298 से बढ़कर 536 हो गई हैं और अनुसूचियां 14 से बढ़कर 16 हो गई हैं।
✅ वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (Crypto Tax India, Virtual Digital Assets India) को अब अघोषित आय (Undisclosed Income India) की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है, जिससे इनकी जांच और कराधान सख्त होगा।
✅ वेतन से संबंधित कटौतियों (Salary Deductions India) जैसे मानक कटौती (Standard Deduction India), ग्रेच्युटी (Gratuity Tax Exemption India), छुट्टी नकदीकरण (Leave Encashment Tax India) को एक ही स्थान पर सूचीबद्ध किया गया है, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना आसान होगा।
✅ सेवा अनुबंधों के लिए राजस्व मान्यता (Revenue Recognition for Service Contracts India) और मूल्य सूचीकरण (Inventory Valuation India, Cost vs Net Realizable Value) जैसी नई धाराएं जोड़ी गई हैं।