सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 फरवरी, 2025) को असम सरकार को उन विदेशी नागरिकों को अनिश्चित काल तक डिटेंशन सेंटर्स में रखने के लिए कड़ी फटकार लगाई, जिन्हें विदेशी घोषित किया जा चुका है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि “क्या आप किसी मुहूर्त का इंतज़ार कर रहे हैं?” और डिपोर्टेशन प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का आदेश दिया।
प्रमुख बिंदु:
- अनिश्चित डिटेंशन पर आपत्ति:
कोर्ट ने कहा कि विदेशी घोषित होने के बाद व्यक्तियों को “अनंत काल तक नहीं रोका जा सकता”। यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) का उल्लंघन है। असम सरकार का तर्क कि डिपोर्टेशन के लिए विदेशी पते अज्ञात हैं, को कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा, “अगर पता नहीं है, तो उन्हें उनके देश की राजधानी भेज दें”। - 63 लोगों का तत्काल डिपोर्टेशन:
पीठ ने असम सरकार को 63 ऐसे व्यक्तियों का डिपोर्टेशन दो सप्ताह के भीतर शुरू करने का निर्देश दिया, जिनकी राष्ट्रीयता पहचानी जा चुकी है। साथ ही, एक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा । - स्टेटलेस व्यक्तियों का मामला:
कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक महीने के भीतर उन व्यक्तियों के संबंध में स्पष्टीकरण देने को कहा, जिनकी राष्ट्रीयता अज्ञात है। साथ ही, पिछले डिपोर्टेशन के रिकॉर्ड और प्रक्रियाओं का विवरण मांगा - डिटेंशन सेंटर्स की स्थिति सुधारने के आदेश:
असम को निर्देश दिया गया कि वह डिटेंशन सेंटर्स में सुविधाओं की निगरानी के लिए एक कमेटी गठित करे, जो हर 15 दिन में इन केंद्रों का निरीक्षण करे। न्यायाधीश ओका ने कहा, “राज्य का खजाना इन व्यक्तियों पर सालों से खर्च हो रहा है, लेकिन सरकार को इसकी चिंता नहीं” - पिछली अनदेखी पर नाराजगी:
कोर्ट ने असम सरकार के हलफनामे को “अस्पष्ट” और “तथ्यों को छिपाने वाला” बताया। न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि राज्य ने पिछले आदेशों का पालन नहीं किया और डिपोर्टेशन प्रस्तावों को विदेश मंत्रालय को भेजने में देरी की

पृष्ठभूमि:
यह मामला पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी नागरिकों के अनिश्चित डिटेंशन से जुड़े एक पुराने मुद्दे से मिलता-जुलता है। 30 जनवरी, 2025 को एक अन्य पीठ ने केंद्र से पूछा था कि “क्या सजा पूरी कर चुके व्यक्तियों को अनिश्चित काल तक क्यों रोका जा रहा है?”
अगली सुनवाई: 25 फरवरी, 2025 को होगी, जहां असम और केंद्र सरकार को अपने हलफनामे पेश करने होंगे